Most Corrupt Politicians of India – करोड़ों के Scams और Zero Accountability

Top 10 Netas जिनके नाम जुड़े हैं Mega Scams से

भारत, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, जहां एक ओर संस्कृति और विविधता की रंगीन छटा है, वहीं दूसरी ओर राजनीति में भ्रष्टाचार की काली सच्चाई भी है। आज हम बात कर रहे हैं उन नेताओं की, जिन पर लगे हैं बड़े-बड़े घोटालों के आरोप – किसी ने सरकारी खजाना लूटा, तो किसी ने सत्ता का गलत इस्तेमाल किया।

Contents
राजनीतिक भ्रष्टाचार का छोटा सा इतिहासआखिर कौन होता है ‘भ्रष्ट’ नेता?देश के सबसे चर्चित भ्रष्ट नेतालालू प्रसाद यादव – चारा घोटाले के किंगए. राजा – 2G स्पेक्ट्रम घोटालामायावती – आय से अधिक संपत्ति का मामलासुरेश कलमाड़ी – कॉमनवेल्थ गेम्स (CWG) घोटालाशरद पवार – कई आरोप, कोई सजा नहींकरुणानिधि और परिवार – DMK डाइनेस्टी के घोटालेबी. एस. येदियुरप्पा – माइनिंग स्कैमपी. चिदंबरम – INX मीडिया केसडी. के. शिवकुमार – ED और IT रेड्समुलायम सिंह यादव और परिवार – संपत्ति विवादतो फिर ये नेता चुनाव जीतते कैसे हैं?भ्रष्टाचार के खिलाफ सिस्टम कितना असरदार?भ्रष्टाचार कम करने के लिए क्या किया जा सकता है?और भी नाम जो चर्चा में रहे:भ्रष्टाचार का असर सिर्फ पैसे तक सीमित नहींनिष्कर्ष:

ये सिर्फ एक लिस्ट नहीं है, बल्कि एक deep dive है उन चेहरों का, जिन्होंने देश की राजनीति को झकझोर दिया – और साथ ही इस सवाल का भी कि इतना कुछ होने के बाद भी ये नेता राजनीति में कैसे टिके रहते हैं?


राजनीतिक भ्रष्टाचार का छोटा सा इतिहास

भारत में राजनीतिक भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है। आज़ादी के बाद के शुरुआती दशकों में ही घोटाले और भाई-भतीजावाद की कहानियाँ सामने आने लगी थीं।

आज हालत ये है कि हजारों करोड़ के घोटाले सामने आ चुके हैं, जिनमें मंत्री, मुख्यमंत्री और यहां तक कि प्रधानमंत्री भी चर्चा में रहे हैं।

RTI एक्ट और मीडिया ने कई परतें खोली हैं, लेकिन ज़िम्मेदारी तय करना अभी भी मुश्किल बना हुआ है।


आखिर कौन होता है ‘भ्रष्ट’ नेता?

किसी नेता को भ्रष्ट कहना तभी सही है जब वो:

  • अपनी पॉवर का गलत इस्तेमाल करे
  • घोटालों में शामिल हो या उनको बढ़ावा दे
  • सरकारी संसाधनों का निजी फायदा उठाए
  • रिश्वत, जबरन वसूली, या सरकारी धन की चोरी में लिप्त हो
  • अपनों को फायदा पहुँचाने के लिए नियम तोड़े
  • जांच में सहयोग न करे या उसे प्रभावित करे

ऐसे नेता सिर्फ कानून नहीं तोड़ते, बल्कि जनता का भरोसा भी तोड़ते हैं


देश के सबसे चर्चित भ्रष्ट नेता


लालू प्रसाद यादव – चारा घोटाले के किंग

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और रेल मंत्री रह चुके लालू यादव, 950 करोड़ के चारा घोटाले में दोषी पाए गए।

घोटाले की डिटेल्स:

  • जानवरों के चारे के नाम पर सरकारी खजाने से करोड़ों उड़ाए गए।
  • कई मामलों में दोषी करार, चुनाव लड़ने से बैन और जेल की सजा भी मिली।

इसके बावजूद, वो आज भी बिहार की राजनीति में एक बड़ा नाम हैं।


ए. राजा – 2G स्पेक्ट्रम घोटाला

2008 में 2G लाइसेंस सस्ते में बांटने का आरोप। CAG के मुताबिक इससे देश को 1.76 लाख करोड़ का नुकसान हुआ।

क्या हुआ था:

  • नियमों की अनदेखी कर चुनिंदा कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया।
  • 2017 में कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया, लेकिन कई सवाल आज भी उठते हैं।

मायावती – आय से अधिक संपत्ति का मामला

यूपी की पूर्व सीएम मायावती पर आरोप लगा कि उनके पास जो संपत्ति है, वो उनकी आय से कहीं ज्यादा है।

विवादों की झलक:

  • डायमंड गिफ्ट से सजी जन्मदिन पार्टीज़।
  • पार्क और मूर्तियों पर सरकारी पैसे की बर्बादी।

CBI ने केस दर्ज किया लेकिन बाद में बंद कर दिया गया।


सुरेश कलमाड़ी – कॉमनवेल्थ गेम्स (CWG) घोटाला

2010 में दिल्ली में हुए CWG देश के लिए शर्मनाक रहे, और घोटाले की वजह से ₹70,000 करोड़ की धांधली सामने आई।

कलमाड़ी का रोल:

  • ऑर्गेनाइजिंग कमिटी के चेयरमैन रहते हुए फंड्स का गलत इस्तेमाल।
  • गिरफ्तारी और फिर जमानत मिली।

शरद पवार – कई आरोप, कोई सजा नहीं

NCP नेता शरद पवार पर कई विवाद हुए – लवासा प्रोजेक्ट, शुगर मिल घोटाला, कोऑपरेटिव बैंक स्कैम।

ज्यादा चर्चित आरोप:

  • ज़मीन डील में गड़बड़ियां।
  • उद्योगपतियों से करीबी रिश्ते।

कोई सजा नहीं हुई, लेकिन सवाल लगातार उठते रहे हैं


करुणानिधि और परिवार – DMK डाइनेस्टी के घोटाले

DMK परिवार, खासकर करुणानिधि के कार्यकाल में कई घोटालों में आया चर्चा में।

मामले:

  • बेटी कनिमोझी का 2G घोटाले में नाम।
  • सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स और मीडिया पर पकड़ को लेकर विवाद।

राजनीति और बिज़नेस का गठजोड़ साफ दिखा।


बी. एस. येदियुरप्पा – माइनिंग स्कैम

कर्नाटक के पूर्व सीएम पर अवैध खनन घोटाले में आरोप लगे।

घोटाले की कहानी:

  • माइनिंग कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप।
  • जेल गए, फिर जमानत मिली और राजनीति में वापसी भी हो गई।

पी. चिदंबरम – INX मीडिया केस

पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पर विदेशी निवेश में घोटाले का आरोप।

क्या हुआ:

  • FDI मंज़ूरी के बदले रिश्वत लेने का आरोप।
  • CBI और ED की जांच, गिरफ्तारी और फिर जमानत।

केस अब भी चल रहा है।


डी. के. शिवकुमार – ED और IT रेड्स

कर्नाटक कांग्रेस नेता पर मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी के गंभीर आरोप।

जांच में सामने आया:

  • करोड़ों की संपत्ति और कैश।
  • शेल कंपनियों के ज़रिए पैसे की हेराफेरी का आरोप।

फिर भी पार्टी में इनकी पोजीशन मजबूत बनी हुई है।


मुलायम सिंह यादव और परिवार – संपत्ति विवाद

सपा नेता और पूर्व सीएम मुलायम सिंह, बेटे अखिलेश और प्रतीक पर CBI ने आय से अधिक संपत्ति का केस किया।

मुख्य बातें:

  • प्रॉपर्टी और बिज़नेस डील्स को लेकर विवाद।
  • केस बंद हुआ लेकिन आरोप नहीं मिटे।

तो फिर ये नेता चुनाव जीतते कैसे हैं?

  • जाति, धर्म और क्षेत्रीय समीकरण भ्रष्टाचार से ज्यादा भारी पड़ते हैं।
  • केस सालों चलते हैं, नतीजे नहीं आते।
  • जनता को अच्छे विकल्प नहीं मिलते।
  • मीडिया मैनेजमेंट और इमेज बिल्डिंग से असली मुद्दे छुप जाते हैं।

भ्रष्टाचार के खिलाफ सिस्टम कितना असरदार?

CBI, ED, लोकपाल जैसे संस्थाएं हैं, लेकिन:

  • कई बार राजनीतिक दबाव में काम करती हैं
  • स्टाफ और संसाधनों की कमी
  • धीमी कार्यवाही से असर कम होता है

इन संस्थाओं को स्वतंत्र और मजबूत करना ज़रूरी है।


भ्रष्टाचार कम करने के लिए क्या किया जा सकता है?

  • चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता
  • VIP केसों की फास्ट ट्रैक सुनवाई
  • व्हिसलब्लोअर को सुरक्षा
  • ई-गवर्नेंस से कम इंसानी दखल
  • समझदार और जागरूक वोटर

और भी नाम जो चर्चा में रहे:

  • जगन मोहन रेड्डी – करोड़ों की संपत्ति के मामले में जांच
  • मधु कोड़ा – ₹4000 करोड़ माइनिंग घोटाला
  • नारायण राणे – ज़मीन और आर्थिक अनियमितता के आरोप
  • रॉबर्ट वाड्रा – नेता नहीं, लेकिन रियल एस्टेट डील्स से राजनीतिक चर्चा में

भ्रष्टाचार का असर सिर्फ पैसे तक सीमित नहीं

  • डेमोक्रेसी कमजोर होती है
  • विकास धीमा हो जाता है
  • ईमानदार नेताओं की जगह धूर्त लोग सत्ता में आ जाते हैं
  • जनता का भरोसा खत्म हो जाता है

निष्कर्ष:

भारत में भ्रष्ट नेताओं की ये लिस्ट हमें याद दिलाती है कि देश को आगे ले जाने के लिए सिर्फ विकास के वादे नहीं, ईमानदारी और ज़िम्मेदारी भी जरूरी है।

जब तक जनता खुद जागरूक होकर जवाबदेही नहीं मांगेगी, तब तक सत्ता में बैठे लोग अपना फायदा उठाते रहेंगे।


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