RSS Kya Hai? | What is RSS in Hindi – Full Info, History & Role

RSS Kya Hai? | What is RSS in Hindi – Full Info, History & Role

शुरुआत: हर राजनीतिक चर्चा में आता है नाम – RSS, लेकिन ये है क्या?

अगर आपने भारतीय राजनीति, चुनाव या हिंदुत्व पर कोई चर्चा सुनी है, तो एक नाम बार-बार सामने आता है — RSS, यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

कुछ लोग इसे देश की सबसे बड़ी सांस्कृतिक संस्था कहते हैं, तो कुछ इसे सत्ताधारी दल बीजेपी की रीढ़। लेकिन आख़िर ये RSS है क्या? और इसकी ताकत इतनी ज़बरदस्त क्यों मानी जाती है?


RSS क्या है?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन है, जिसकी स्थापना 1925 में नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी।

इसका मुख्य उद्देश्य है ?

  • भारत को एक हिंदू राष्ट्र के रूप में स्थापित करना,
  • और समाज में राष्ट्रभक्ति, अनुशासन और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देना।

RSS खुद को एक सांस्कृतिक संगठन बताता है, लेकिन इसके कार्यों का असर राजनीति, समाज और शिक्षा जैसे कई क्षेत्रों में साफ़ देखा जाता है।


RSS का इतिहास

  • 1925 में विजयादशमी के दिन RSS की स्थापना हुई थी।
  • शुरुआती दौर में यह संगठन ब्रिटिश राज के खिलाफ देशभक्ति और हिंदू एकता को बढ़ावा देने के लिए बना।
  • आज़ादी के बाद संघ ने खुद को राजनीति से दूर रखने की बात कही, लेकिन 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ पर प्रतिबंध लगा।

बाद में संघ ने फिर से खुद को सामाजिक संगठन के रूप में स्थापित किया और आज यह देश के हर राज्य में सक्रिय है।


RSS कैसे काम करता है?

RSS के काम करने का तरीका अलग और अनुशासित है:

  • हर शहर, कस्बे और गांव में होता है एक ‘शाखा’, जहां स्वयंसेवक सुबह या शाम मिलते हैं।
  • शाखाओं में शारीरिक व्यायाम, देशभक्ति गीत, और संघ विचारधारा की शिक्षा दी जाती है।
  • RSS का कोई औपचारिक सदस्यता शुल्क नहीं होता। कोई भी शामिल हो सकता है।

संघ अपने विचारों को प्रचारक (फुल-टाइम वर्कर) के ज़रिए पूरे देश में फैलाता है।


RSS की विचारधारा क्या है?

RSS की सोच है कि:

  • भारत एक हिंदू राष्ट्र है, और यहां की संस्कृति की जड़ें हिंदू धर्म में हैं।
  • भारत में रहने वाले सभी धर्मों के लोग चाहे अलग परंपरा मानें, लेकिन राष्ट्रीय एकता और संस्कृति के मूल में हिंदुत्व होना चाहिए।
  • पश्चिमी सोच, सेक्युलरिज़्म और तुष्टिकरण की राजनीति के संघ आलोचक हैं।

इस विचारधारा को संघ “एकात्म मानववाद” और “भारतीय संस्कृति” का नाम देता है।


RSS और राजनीति का रिश्ता

हालाँकि RSS खुद को गैर-राजनीतिक संगठन कहता है, लेकिन इसका राजनीति से गहरा नाता है।

  • भारतीय जनता पार्टी (BJP) संघ की विचारधारा से जुड़ी हुई है।
  • 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जब जनसंघ बनाया, तब संघ के कई स्वयंसेवकों ने उसे समर्थन दिया।
  • आज नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह जैसे कई बड़े नेता संघ के स्वयंसेवक रह चुके हैं।

बीजेपी को चुनावों में जीत दिलाने के लिए संघ की जमीनी स्तर की टीम बेहद अहम भूमिका निभाती है।


RSS की सहयोगी संस्थाएं – ‘संघ परिवार’

RSS की सोच सिर्फ शाखाओं तक सीमित नहीं है। इसके पास है सैकड़ों सहयोगी संगठन, जिन्हें मिलाकर कहा जाता है – संघ परिवार

कुछ प्रमुख संगठन:

संगठन का नामकाम का क्षेत्र
भारतीय जनता पार्टी (BJP)राजनीति
विश्व हिंदू परिषद (VHP)धर्म और मंदिर आंदोलन
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP)छात्र राजनीति
भारतीय मजदूर संघ (BMS)मज़दूर संगठन
सेवा भारतीसामाजिक सेवा कार्य

संघ परिवार के ज़रिए RSS सामाजिक से लेकर राजनीतिक, हर स्तर पर प्रभाव रखता है।


आलोचना और विवाद

RSS के आलोचक इसे कहते हैं:

  • कट्टरपंथी हिंदू संगठन, जो भारत को धर्म के आधार पर बाँटना चाहता है
  • अल्पसंख्यकों के खिलाफ रवैया रखने का आरोप भी लगाया जाता है
  • गांधी जी की हत्या के बाद संघ पर प्रतिबंध भी लग चुका है
  • सेक्युलरिज़्म और लोकतंत्र के लिए ख़तरा बताने वाले लोग भी हैं

हालाँकि संघ इन आरोपों को खारिज करता है और कहता है कि वह सभी के कल्याण में विश्वास रखता है — “सर्वे भवन्तु सुखिनः”।


आज का RSS: 2025 में क्या बदल गया है?

  • आज RSS टेक्नोलॉजी से भी जुड़ गया है — ऐप्स, ऑनलाइन शाखाएं, डिजिटल प्रचार
  • महिलाओं के लिए Rashtra Sevika Samiti नामक अलग संगठन है
  • संघ ने अब Dalit और Tribal समुदायों में भी अपनी पहुंच बढ़ाई है
  • कई मामलों में संघ अब ग्लोबल स्तर पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है

2025 में RSS अब सिर्फ शाखाओं तक सीमित नहीं, बल्कि एक विशाल नेटवर्क और प्रभावशाली शक्ति बन चुका है।


निष्कर्ष: RSS को समझे बिना भारत की राजनीति अधूरी है

चाहे आप समर्थन करें या विरोध, लेकिन एक बात तय है —
RSS को समझे बिना भारत की राजनीति, समाज और संस्कृति को पूरी तरह समझा नहीं जा सकता।

यह संस्था लगभग 100 सालों से देश में सक्रिय है और आज भी केंद्र सरकार से लेकर गांव की शाखा तक अपना असर बनाए हुए है।


FAQs – आपके मन के सवालों के जवाब

RSS का फुल फॉर्म क्या है?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

RSS की स्थापना कब और किसने की थी?

1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में की थी।

क्या RSS राजनीति में हिस्सा लेता है?

नहीं, लेकिन इसके स्वयंसेवक बीजेपी जैसे संगठनों में सक्रिय हैं।

क्या महिलाएं भी संघ का हिस्सा बन सकती हैं?

हाँ, उनके लिए ‘Rashtra Sevika Samiti’ नामक अलग विंग है।

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